- अनुराधा नागराज
चेन्नई, 5 सितंबर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – भारत में यौन तस्करी से बचाए गए लोग सोशल मीडिया पर एक अभियान में शामिल करने के लिए अपने अनुभवों की ऑडियो रिकॉर्डिंग कर रहे हैं। आयोजकों को उम्मीद है कि इससे देह व्यापार से बाहर निकलने के बाद भी उनके साथ होने वाले भेदभाव में कमी आयेगी।
प्रचारकों के अनुसार देश के लगभग दो करोड़ यौन कर्मियों में से एक करोड़ 60 लाख महिलाएं और लड़कियां तस्करी की शिकार हैं।
तस्करी रोधी धर्मार्थ संस्था- अन्याय रहित जीवन के अरुण पांडे ने कहा कि यौन तस्करी से बचाए जाने के बाद भी इन लोगों के साथ काफी भेदभाव किया जाता है, इसलिए वे अपनी दास्तान लोगों को नहीं बताते हैं।
पांडे ने कहा, "उनका कथात्मक कोई कार्यकर्ता या अधिकारी तैयार करता है।"
"हम चाहते हैं कि यहां उनकी दास्तान बगैर किसी कांट–छांट के उनके ही शब्दों में वे ही बताएं। हम चाहते हैं कि पीड़िताएं स्वयं अपनी व्यथा बताएं।"
यह अभियान जुलाई में यू-ट्यूब पर अपलोड किए गए चार भाग वाले वीडियो के आधार पर तैयार किया गया है। इस फिल्म में देशभर से चार वेश्यालयों की महिलाओं की उनकी ही आवाज में रिकॉर्डिंग थी, जिसका मकसद दर्शकों को यौन कर्मियों के वास्तविक जीवन से रूबरू करवाना था।
पांडे के अनुसार यौन तस्करी से बचाए गए लोगों को अब उनकी आपबीती दास्तान उनकी ही आवाज में रिकॉर्ड कर भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिन्हें फेसबुक और यू-ट्यूब सहित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रसारित किया जा रहा है।
पांडे ने कहा कि उन रिकॉर्डिंग को तस्करी कर यौन उद्योग में ढ़केली गई महिलाओं के बारे में "मिथकों और गलत धारणाओं को समाप्त करने" के लिए पुलिस प्रशिक्षण सत्र में भी सुनाया जाएगा।
यौन तस्करी से बचाई गई 34 वर्षीय एक महिला ने कहा, "समाज में यह आम धारणा है कि हम अपनी मर्जी से वेश्यालयों में हैं और हम बहुत पैसा कमाते हैं।" उसकी तस्करी बचपन में की गई थी।
अब गोवा की एक लांड्री में काम करने वाली उस महिला ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया कि वह अपनी व्यथा रिकॉर्ड करने को इसलिए तैयार हो गई, क्योंकि इसके जरिए वह अपनी पहचान उजागर किए बगैर निडरता से अपने कटु अनुभव बता सकती है।
पांडे ने कहा कि रिकॉर्डिंग में महिलाएं नशे में धुत ग्राहकों के और उत्पीड़न के बारे में बताते हुए कहती हैं कि उनके लिए यौन उद्योग से बाहर निकलना कितना मुश्किल था।
जुलाई में अपलोड किए गए एक वीडियो में एक महिला ने वेश्यालय के मालिकों के साथ पुलिस अधिकारियों की बातचीत को याद करते हुए बताया कि मालिकों को आरोपित ना करने के बदले में पुलिस अधिकारी मुफ्त में यौनकर्मी की मांग कर रहे थे।
गोवा में तस्करी से बचाई गई महिला ने कहा, "मैंने इस उम्मीद में अपनी बात कही कि लोग मेरे सुरक्षित घर से वेश्यालय तक की मेरी व्यथा को समझेंगे।"
"अगर वे कुछ क्षण ही इस बारे में विचार करें, तो भी वे हमारी पीड़ा को समझ पाएंगे।"
यह अभियान देश में चल रही उस बहस की पृष्ठभूमि में शुरू किया जा रहा है कि यौन तस्करी रोकने के उद्देश्य से प्रस्तावित कानून के तहत अपनी मर्जी से यौन उद्योग में शामिल वयस्कों को भी जबरन बचा कर यहां से बाहर किया जा सकता है।
(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- जेरेड फेरी; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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