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उत्‍पीड़न की घटनाएं उजागर होने के बाद बिहार सरकार ने बाल आश्रयों को अपने अधिकार में लिया

by Roli Srivastava | @Rolionaroll | Thomson Reuters Foundation
Monday, 3 September 2018 10:29 GMT

ARCHIVE PHOTO: Children eat their meal in Chapra district of the eastern Indian state of Bihar, July 19, 2013. REUTERS/Adnan Abidi

Image Caption and Rights Information

-    रोली श्रीवास्तव

मुंबई, 3 सितंबर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - बिहार के सभी आश्रयों को सरकारी अधिकारियों के अधीनस्‍थ किया जायेगा। एक अधिकारी ने बताया कि  यह निर्णय एक ऑडिट में धर्मार्थ संस्‍थाओं द्वारा संचालित आश्रयों में बच्चों के मौखिक, शारीरिक और यौन शोषण की घटनाओं के उजागर होने के बाद लिया गया है। 

बिहार सरकार द्वारा इस वर्ष की शुरुआत में की गई जांच में पता चला कि धर्मार्थ संस्‍थाओं द्वारा संचालित 15 गृहों में बच्चों का शोषण किया गया था और उन्‍हें भोजन, कपड़े तथा दवाई भी नहीं दी जाती थी। जांच यह जानने के लिए की गई थी कि गृहों में सरकारी धन का इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है।

राज्य सरकार के वेबसाइट पर पोस्‍ट की गयी ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार पीड़ितों में बंधुआ मजदूरी या यौन दासता से बचायी गयी महिलाएं और गोद लेने का इंतजार कर रहे नन्‍हें बच्‍चे तक शामिल थे।

बिहार के समाज कल्याण विभाग में निदेशक राज कुमार ने कहा, "इन आश्रयों में रक्षक ही भक्षक बन गये थे।"

उन्‍होंने फोन पर कहा, "हम आगामी दो-तीन माह में राज्य के सभी आश्रयों को अपने अधिकार में ले लेंगे।"

अभियान चलाने वालों ने ऑडिट पर राज्य सरकार की प्रतिक्रिया की सराहना की।

ऑडिट का नेतृत्‍व करने वाले और मुंबई के टाटा सामाजिक विज्ञान संस्‍थान से जुड़ी धर्मार्थ संस्‍था कोशिश के निदेशक मोहम्मद तारिक ने कहा, "बिहार सरकार ने न केवल ऑडिट करवाया बल्कि इस पर कार्रवाई भी की है।"

उन्होंने कहा, "ऐसी रिपोर्टों के आधार पर सरकारें कभी कभार ही कार्रवाई करती हैं, लेकिन राज्य के अधिकारियों ने आश्रयों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।"

हाल ही में बाल आश्रयों में उत्‍पीड़न के खुलासे से राष्ट्रव्यापी जन आक्रोश फैलने पर केंद्र सरकार का इस समस्या की व्यापकता पर ध्‍यान गया। 

उत्तर प्रदेश के देवरिया में पुलिस ने कहा कि अगस्त माह के शुरू में उन्होंने एक गृह से 20 लड़कियों और तीन लड़कों को बचाया था, जहां उन्हें देह व्‍यापार के लिए बेचा गया था।

बिहार में एक आश्रय से 29 लड़कियों को बचाने के कुछ ही सप्‍ताह बाद यह छापा मारा गया था, जिसमें 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। दुष्‍कर्म सहित कई अपराधों में उनकी संलिप्‍तता की जांच चल रही है।

राष्‍ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की अध्‍यक्ष स्‍तुति कक्‍कड़ ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया कि देशभर में लगभग 9,000 आश्रयों का ऑडिट किया जा रहा है, जिनमें से अब तक एक तिहाई आश्रयों का सर्वेक्षण हो चुका है।

आयोग द्वारा पिछले सप्‍ताह उच्‍चतम न्‍यायालय को सौंपी गई एक अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ कुछेक आश्रय ही संतोषजनक तरीके से चलाए जा रहे हैं, जहां 2,30,000 बच्चे रहते हैं।

आयोग के अनुसार लगभग 1,300 आश्रय गैर-पंजीकृत हैं, जिसका अर्थ है कि वे अवैध रूप से और अल्‍प या बगैर निगरानी के संचालित किए जाते हैं।

बिहार में ऑडिट करने वाली टीम अब आश्रयों से बचाए गए उत्‍पीडि़त बच्चों के पुनर्वास की योजना तैयार कर रही है।

कुमार ने कहा, "सरकार इन बच्चों की स्थानीय अभिभावक है। हमने सामाजिक ऑडिट करवाकर एक मिसाल कायम की है। हम आश्रयों में सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं।"

(रिपोर्टिंग- रोली श्रीवास्‍तव, संपादन- जेरेड फेरी; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

 

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