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यौन उत्‍पीड़न के मामले उजागर होने के बाद भारतीय राज्‍य के बाल आश्रयों की जांच

by Roli Srivastava | @Rolionaroll | Thomson Reuters Foundation
Wednesday, 8 August 2018 10:52 GMT

  - रोली श्रीवास्तव

मुंबई, 8 अगस्त (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - उत्तर प्रदेश के एक आश्रय गृह में छापेमारी के दौरान 23 बालिकाओं और लड़कों को बचाए जाने के बाद राज्‍य सरकार सभी बाल आश्रय गृहों का ऑडिट करवा रही है। पुलिस का कहना है कि उन बच्‍चों को यौनचार के लिए बेचा जा रहा था।

पुलिस ने कहा कि उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक आश्रय गृह से बचकर भाग निकली 13 वर्षीय लड़की की सूचना के आधार पर रविवार की रात को छापा मारकर 20 लड़कियों और तीन लड़कों को बचाया गया।

मामले की जांच कर रहे देवरिया के पुलिस अधिकारी दयाराम सिंह गौड़ ने कहा, "हमें सूचना देने वाली बच्‍ची ने बताया कि रात में लड़कियों को कारों से बाहर भेजा जाता था और वे सुबह रोते हुए वापस आती थीं।"

उत्तर प्रदेश की महिला और बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया कि राज्य के अधिकारियों को अपने-अपने जिलों में सभी आश्रय गृहों की स्थिति की जांच करने का आदेश दिया गया है।

उन्‍होंने कहा, "यह एक घिनौनी वारदात है। 2018 में जहां हम महिला सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं, ऐसे में यह दुर्भाग्यपूर्ण है।"

यह छापा पड़ोसी राज्‍य बिहार में एक आश्रय गृह से 29 लड़कियों को बचाए जाने के कुछ ही सप्‍ताह बाद मारा गया। वहां से 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनके दुष्‍कर्म सहित कई अपराधों में संलिप्‍तता की जांच की जा रही है।

केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बुधवार को इंडियन एक्सप्रेस समाचार पत्र को बताया कि उन्होंने देश भर में बच्‍चों की देखभाल करने वाले सभी संस्थानों का 60 दिन के भीतर ऑडिट करने का आदेश दिया है।

मेनका गांधी के कार्यालय ने प्रतिक्रिया देने से इंकार किया है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का अनुमान है कि भारत में लगभग 7,300 देखभाल गृह हैं, जिनमें करीबन 2,30,000 बच्‍चे रहते हैं।

आयोग का कहना है कि इन आश्रयों में से लगभग 1,300 अपंजीकृत हैं, जिसका अर्थ है कि उनका संचालन कम या बगैर निगरानी के अवैध रूप से होता हैं।

पुलिस ने कहा कि देवरिया में यह आश्रय गृह एक वर्ष से भी अधिक समय से बगैर परमिट के चल रहा था।

महाराष्‍ट्र में आश्रयों का अध्‍ययन करने वाली मुंबई के टाटा सामाजिक विज्ञान संस्‍थान में विधि प्रोफेसर आशा बाजपेई के अनुसार इस प्रकार के गृहों में उत्‍पीड़न प्रचलित है।

बाजपेई ने कहा, "अधिकतर आश्रयों की यही कहानी है। मैंने जिन आश्रयों का दौरा किया वहां  बच्‍चों का शोषण किया गया था।"

देवरिया के पुलिस अधिकारी गौर ने कहा कि आश्रय गृह चलाने वाले दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और जांचकर्ता उन संदिग्धों को तलाश कर रहे हैं, जो पैसा देकर लड़कियों को गृह से बाहर ले गये और उनका यौन शोषण किया।

उन्होंने कहा, "अब हम लड़कियों द्वारा दिए गए विवरणों के आधार पर कारों और पुरुषों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं।"

आठ साल की एक लड़की के साथ दुष्‍कर्म कर उसकी हत्या करने पर राष्ट्रव्यापी आक्रोश के बाद भारत सरकार ने इसी वर्ष से 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्‍कर्म करने वालों के लिए मौत की सजा और बड़ी लड़कियों तथा महिलाओं से दुष्‍कर्म करने वालों की कारावास की अवधि बढ़ाने के प्रावधान किए हैं।

(रिपोर्टिंग- रोली श्रीवास्‍तव, संपादन- जेरेड फेरी; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

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