×

Our award-winning reporting has moved

Context provides news and analysis on three of the world’s most critical issues:

climate change, the impact of technology on society, and inclusive economies.

भारतीय वेश्यालयों में उम्र से पहले बच्चों को जवान बनाने के हार्मोन्‍स देने की पुलिस जांच

by Anuradha Nagaraj | @anuranagaraj | Thomson Reuters Foundation
Wednesday, 1 August 2018 09:00 GMT

  • अनुराधा नागराज

    चेन्नई, 1 अगस्त (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - तेलंगाना में वेश्यालयों में बाल शोषण के आरोप में आठ लोगों की गिरफ्तारी के बाद भारतीय पुलिस यौन तस्करी के मामले में उम्र से पहले बच्‍चों को जवान बनाने के लिए हार्मोन्‍स देने की जांच कर रही है।

     एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बुधवार को कहा कि सात वर्ष से कम उम्र की चार बालिकाओं सहित ग्यारह लड़कियों को मंदिरों के शहर यादगिरीगुट्टा के वेश्यालयों से बचाया गया था, जहां उन्हें यौन कर्मी बनाने के लिए तैयार किया जा रहा था।

     यादगिरीगुट्टा से 70 किलोमीटर दूर राज्य की राजधानी हैदराबाद में पुलिस अधिकारी महेश भागवत ने कहा, "तस्करों ने कबूल किया है कि वे लड़कियों को हार्मोन्‍स के इंजेक्शन दे रहे थे।"

     उन्होंने फोन पर बताया, "यह स्पष्ट मामला है जहां लड़कियों को उनकी वास्तविक उम्र से बड़ा दिखाने के लिए तैयार किया जा रहा था और उन्‍हें दवाओं के इंजेक्शन दिए जा रहे थे। हम तस्‍करों को दवाओं की आपूर्ति करने वाले डॉक्टर का भी पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं।"

     गैर-सरकारी संगठनों के अनुसार भारत के यौन उद्योग में देह व्‍यापार में संलिप्‍त लगभग दो करोड़ लड़कियों और महिलाओं में से एक करोड़ 60 लाख तस्करी पीडि़ताएं हैं।

     पश्चिम बंगाल सरकार की 2017 की एक रिपोर्ट में तस्करी कर वेश्यालयों में भेजी गई लड़कियों की हिम्‍मत "तोड़ने" के क्रूर तरीकों के बारे में बताया गया, जिनमें अक्सर उनके साथ दुष्‍कर्म करना, उनकी पिटाई करना और उन्‍हें भूखा रखना शामिल है।

     कार्यकर्ताओं के अनुसार हार्मोन्‍स देने के अलावा आमतौर पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक तस्करी किए जाते समय लड़कियों को बेहोशी की दवाई दी जाती हैं, लेकिन कभी-कभार ही इसकी जांच होती है।

     तस्करी रोधी धर्मार्थ संस्‍था शक्ति वाहिनी के ऋषि कांत ने कहा, "हमने पाया कि अधिकतर बचायी गयी बालिकाओं को उम्र से बड़ा दिखाने के लिए दवाईयां दी गईं थी।"

     उन्होंने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "पुलिस अपनी रिपोर्ट में इसका केवल जिक्र करती है और इस पहलू की आगे कोई जांच नहीं की जाती है।"

     पुलिस के एक बयान के अनुसार सोमवार के छापे के दौरान गिरफ्तार आठ तस्करों ने प्रत्येक लड़की के लिए उनके परिजनों को दो-दो लाख रुपये का भुगतान किया था। अन्य मामलों में उन्‍होंने अनाथ युवतियों को शिकार बनाया था।

      बयान में कहा गया है कि वेश्यालयों को दवाइयों की आपूर्ति करने वाला डॉक्टर प्रत्येक लड़की को इंजेक्‍शन देने के 25,000 रुपये वसूलता था।

      भागवत ने कहा कि तस्करों ने यह प्रदर्शित करने की कोशिश की कि वे लड़कियां उनके परिवार की सदस्‍य हैं, यहां तक ​​कि उनमें से कुछ लड़कियों का स्कूल में दाखिला भी करवाया गया था।

      उन्होंने कहा, "लेकिन जांच से पता चला है कि वास्तव में उन्‍हें वेश्यावृत्ति करने के लिए तैयार किया जा रहा था।"

     तस्करी से बचायी लड़कियों के साथ काम करने वाली मनोवैज्ञानिक उमा चटर्जी ने कहा कि आमतौर पर उम्र से बड़ा दिखाने के लिए हार्मोन्‍स दिए जाते हैं।

      उन्‍होंने कहा, "बचायी गयी लड़कियां अक्सर हमें उन दवाओं के बारे में बताती हैं जिन्हें उन्हें स्वस्थ या सुंदर अथवा अधिक स्‍मार्ट बनाने के लिए दिया जाता है।''

      चटर्जी ने कहा कि नए तस्‍करी रोधी विधेयक के तहत दवाओं के इंजेक्शन देना "गंभीर अपराध" होगा, जिसके लिए कड़ी सजा के प्रावधान होंगे। इस विधेयक के कानून बनने से पहले इसे संसद से अंतिम मंजूरी मिलना बाकी है।    

(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- जेरेड फेरी; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

Our Standards: The Thomson Reuters Trust Principles.

-->